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I am Gautam Kashyap, an Indian citizen currently living in Russia. I earned my master's degree in Russian literature from Saint Petersburg State University and am currently pursuing a Ph.D. in linguistics at South Ural State University. My expertise lies in both oral and written translations, and I am proficient in Russian, English, Hindi, and Sanskrit.

परेशान आत्मा : गौतम कश्यप

परेशान आत्मा : गौतम कश्यप


Gautam Kashyap @ SFUS, University of DELHI


अब सुनने – सुनाने को रहा ही क्या ...
जब “असीम शांति” के बस में भी
न हो “परेशान आत्मा” का उपचार...

कोहनी पर टिक कर, भाग्य के लिए प्रार्थना क्यों करूँ
इससे बेहतर तो आंसुओं को जमीन पर टपकने दूँ
मेरी ही हथेली पर हैं, पड़े मेरे ही खून के छीटे
अब हथेलियों को मसलने से होगा भी क्या...

वे समय, अब न जाने गए कहाँ
कि अब पास रहा न कोई मित्र यहाँ ,
कि रो लूँ उनकी गोद में सर रख
जब हो हर पल घुटन महसूस यहाँ
अब, चाहने को रहा ही क्या..

कहो! आखिर कैसे देखूं सपने
जब वे पल पास ही न रहे
अब प्रयास करूँ तो क्यों करूँ,
कि थोड़ी देर और जियूं...
जबकि आत्मा बैठी हो सजधज कर तैयार,
गुमनाम पथ पर चलने को बेक़रार.

अब तुझे बता कर, होगा क्या यहाँ
एक दिन तो तुम्हें भी, आना ही है वहां.
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Gautam Kashyap (04/11/2015)

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