मत कहो कि मैंने तुम्हें भुला दिया,
जवानी के गुजरते ही, यादों को मिटा दिया.
मानो, मैंने ही तुम्हें कभी न हो चाहा
प्यार में तड़पता, प्यार को ही भुला दिया ?
मत कहो, कुहरे की भांति सब कुछ हो गया था ख़त्म
कि डॉक्टर नहीं, समय भरता है आहत दिल का जख्म
जब दिल अन्दर से टूट चुका होता है
इंसान भला स्वस्थ कैसे रह सकता है?
हास्यास्पद माफ़ी, को बार - बार मत दुहराओ
अब कुछ भी नहीं बदलेगा, इसे और न सुलगाओ
जीवन, मानो संदेह और त्रुटियों की श्रृंखला
प्यार निभाना, हर किसी के बस का नहीं होता.
=============
मत कहो : गौतम कश्यप
०३/११/२०१५
जवानी के गुजरते ही, यादों को मिटा दिया.
मानो, मैंने ही तुम्हें कभी न हो चाहा
प्यार में तड़पता, प्यार को ही भुला दिया ?
मत कहो, कुहरे की भांति सब कुछ हो गया था ख़त्म
कि डॉक्टर नहीं, समय भरता है आहत दिल का जख्म
जब दिल अन्दर से टूट चुका होता है
इंसान भला स्वस्थ कैसे रह सकता है?
हास्यास्पद माफ़ी, को बार - बार मत दुहराओ
अब कुछ भी नहीं बदलेगा, इसे और न सुलगाओ
जीवन, मानो संदेह और त्रुटियों की श्रृंखला
प्यार निभाना, हर किसी के बस का नहीं होता.
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मत कहो : गौतम कश्यप
०३/११/२०१५
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