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Mokama, Bihar, India
I am Gautam Kashyap, an Indian citizen currently living in Russia. I earned my master's degree in Russian literature from Saint Petersburg State University and am currently pursuing a Ph.D. in linguistics at South Ural State University. My expertise lies in both oral and written translations, and I am proficient in Russian, English, Hindi, and Sanskrit.

मोकामा के गौतम कश्यप ने रूसी कविता संग्रह का किया हिंदी में अनुवाद, विमोचन नौ को

दैनिक भास्कर/पटना/अक्टूबर 1, 2018

मोकामा के गौतम कश्यप ने रूसी कविता संग्रह का किया हिंदी में अनुवाद, विमोचन नौ को 

सीमित संसाधनों के बीच बिहार से निकली सैकड़ों प्रतिभाएं हर वर्ष अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का नाम रोशन करती हैं। बिहार के मोकामा के रहने वाले गौतम कश्यप अपनी उत्कृष्ट अनुवाद विधा से भारत और रूस के बीच साहित्य सेतु बनाने का काम कर रहे हैं। गौतम द्वारा रूसी भाषा से हिंदी में अनुदित कविता संग्रह आनंद का उजियारा का विमोचन 9 अक्टूबर, 2018 को हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में होने जा रहा है। उन्होंने निकलाय रेरिख को समर्पित कविता संग्रह का हिंदी में अनुवाद किया है। कविता संग्रह में ओल्गा स्लेपोवा द्वारा रचित कविताएं शामिल हैं।

रूसी-हिंदी अनुवादक के रूप में अपनी विशिष्ट पहचान बना चुके गौतम कश्यप का मानना है कि साहित्य के जरिए ही दुनिया को सेतुबंध किया जा सकता है। हर देश और भाषा में उत्कृष्ट साहित्य मौजूद है लेकिन एक-दूसरे की भाषा को न समझ पाने के कारण दुनिया उससे अनभिज्ञ रह जाती है। भारत में अनुवाद एक महत्वपूर्ण रोजगारमूलक क्षेत्र है, इसलिए वे नई पीढ़ी को विदेशी भाषाओं से जुड़ने के लिए प्रेरित करते हैं। 

नि:शुल्क कार्यशाला में सिखाते हैं अनुवाद 

गौतम कश्यप युवाओं को लीक से हटकर सोचने की सलाह देते हैं। इसी क्रम में वे जब भी मोकामा आते हैं तब मोकामा में नि:शुल्क विदेशी भाषा प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजित कर सैकड़ों बच्चों को लाभान्वित करते हैं। इसके अतिरिक्त विदेशी भाषा सीखने के इच्छुक बच्चों को सोशल मीडिया के माध्यम से गाइड करते हैं। मोकामा के मोर गांव निवासी गौतम कश्यप पिछले कई वर्षों से रूसी और हिंदी का अनुवाद कर रहे हैं। अपने शैक्षणिक कार्यों के सिलसिले वे रूस का दौरा भी कर चुके हैं। वहीं भारत में रूस से संबंधित होने वाले विभिन्न आयोजनों में वे अक्सर द्विभाषिए / अनुवादक के रूप में अपनी सेवाएं देते रहते हैं। 1990 और 2000 के दशक में बिहार में अपनी पढ़ाई करने वाले गौतम अत्यंत विषम परिस्थितियों का सामना करते रहे। झाझा स्थित सरकारी हाई स्कूल से 10वीं की और बाद में बीएचयू, दिल्ली यूनिवर्सिटी, इग्रू, भारतीय यात्रा और पर्यटन प्रबंधन संस्थान (आईआईटीटीएम), नई दिल्ली, भारतीय केंद्रीय भाषा संस्थान आदि से अपनी उच्च शिक्षा पूरी की।

Book Release : Aanand ka Ujiyara of Olga Slepova, translated into Hindi by Gautam Kashyap


धरती पर सितारा : गौतम कश्यप

धरती पर सितारा : गौतम कश्यप

धूल में लिपटे मेरे पैर
और आँखों में नीर
मैं बढ़ा जा रहा था ...
आकाश में छाने लगी थी, 
शराब जैसी लाली
हो रही थी स्याह,
धरती पर फैली हरियाली.

गूंजी एक कराह, पुराने धुनों सी
फिर चुप्पी ...
लगा कि सितारा गिरा था 
कोमल घास पर
लेकिन, वैसी ही घूमती रही
बेफिक्र धरती.

आकाशगंगा में, छा गई
शोक की लहर
गिरा गया एक पागल सितारा
धरती पर ....
रात में बहक गया था
“चिंतित न होओ,
मैं हूँ न धरती पर
रखूँगा तुम्हारा ख्याल”.

ऊपर से विलखने की
आवाज आई
मानो किसी ने खो दिया हो
अपने प्रीतम को
हमेशा हमेशा के लिए ...
फिर भी, घूमती रही वैसी ही
बेरहम धरती ...

समुद्र ने सांस लिया, जोर से
और पत्थरों से जल टकराए
होने लगा सूर्य उदित
और लोग अभी तक 
सोये पड़े थे
थके मांदे ...
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गौतम कश्यप

तुम और सागर : गौतम कश्यप

तुम और सागर : गौतम कश्यप
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अगर है तुम्हारे अन्दर ठसक
या कठोरता
तो सागर होगा ठरल
और मुस्कुरायेगा
मंद - मंद
दुर्भावनापूर्ण...

अगर है आँखों में गहराई
तो सागर होगा शांत,
निश्छल
उड़ेलेगा अपनी भावनाएं
अनंत लहर,
मधुर स्वर के सहारे

अगर है तुम्हारे अंदर घृणा
तो दूर कर देगा तुम्हें
वैसे ही, जैसे फेंकता है
बलबलाती फेन को
अपने से दूर,
किनारे

अगर हो एकाकी,
तो अन्दर से देगा सहारा.
नाव की भांति
प्रेरित करेगा
आगे बढ़ने को
बीच झंझावातों से.

अगर है समर्पण
तो तपाकर, बनाएगा तुम्हें बादल
और भेजेगा दूर
विशाल नभ में
जहाँ से बरसकर
तुम रच सको  धरती पर खुशियाँ

अगर आप हैं प्यार में ...

अगर आप हैं प्यार में ...
गौतम कश्यप



अगर आप हैं प्यार में ...
तो, सुबह जल्दी उठ सकते हैं
शाम को देर से लौट सकते हैं
प्यार में हैं यदि ..., आप कुछ भी करेंगे...

बाहर ठंढ में सड़क पर दलकेंगे
या गर्म मुलाक़ात के स्वप्न देखेंगे
बनायेंगे, नित नई योजनायें ...
सीमांत से परे विचरेंगे...

कोमल झुर्रियां और बाल पके
नजरअंदाज करेंगे
“अभी शाम है ढली नहीं ...”, ऐसा कुछ गुनगुनायेंगे.
हाथ में हाथ डाले, 
संग संग टहलना, याद करेंगे ..
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गौतम कश्यप