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Mokama, Bihar, India
I am Gautam Kashyap, an Indian citizen currently living in Russia. I earned my master's degree in Russian literature from Saint Petersburg State University and am currently pursuing a Ph.D. in linguistics at South Ural State University. My expertise lies in both oral and written translations, and I am proficient in Russian, English, Hindi, and Sanskrit.

Fekete Ország : Babits Mihály

Fekete Ország by Babits Mihály
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हंगारी भाषा में ‘बोबित्स मिहाय’ की इस बोझिल कविता में अद्भुत लय है. मूल भाषा के स्तर का अनुवाद तो मैं नहीं ही कर पाउँगा, लेकिन यदि आप इस कविता को मूल भाषा में सुनेंगे तो महसूसेंगे, मानो धड़धड़ाती हुई रेलगाड़ी आपके सामने से गुजर गई. जब हंगरीवासी इसे जोश-ओ-जूनून से पढ़ते हैं तो कसम से मजा आ जाता है. वैसे आप इसे यूट्यूब पर सुन सकते हैं. इसके लिए आपको दी हुई ‘कड़ी’ पर चूहे से चटका लगाना होगा : https://www.youtube.com/watch?v=elFSyE8LUXE



देखता हूँ स्वप्न, काली धरा का
जहाँ हों, सबकुछ काले
सब कुछ काले
सिर्फ बाहर से ही नहीं...
अस्थि ही नहीं,
अस्थिमज्जा भी काली.
काली
काली, काली, काली
काला नभ, काला समुद्र
काले पेड़, काले घर
काले पशु, काले मानव
काली खुशियाँ, काले दर्द
काले अयस्क, काले पत्थर
काली धरती, काले पेड़
काली, काली, काली दुनिया
........................
(पूरी कविता का अनुवाद नहीं कर रहा हूँ, क्योंकि कवि की दुनिया में आगे भी सबकुछ काले ही मिलने वाले हैं  :)  )
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गौतम कश्यप

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