Skip to main content

Posts

Showing posts from June, 2025

ब्रेस्त किले की शौर्यगाथा - सिरगेई अलिक्स्येफ़/Брестская крепость: Сергей Алексеев/

ब्रेस्त किले की शौर्यगाथा - सिरगेई अलिक्स्येफ़ मूल रूसी से अनुवाद गौतम कश्यप सीमा पर अटल खड़ा है ब्रेस्त का किला, एक प्राचीन गढ़, जिसके पत्थरों में शौर्य और बलिदान की गाथाएँ साँस लेती हैं। जंग का पहला दिन ही था, जब फासिस्टों ने इस पर प्रचंड हमला बोला था। किन्तु यह किला साधारण नहीं था; यह था वीरता का प्रतीक। फासिस्टों के तूफ़ानी हमले इसे डिगा न सके। पराजय स्वीकार कर, वे किले को पीछे छोड़, इसके दाएँ-बाएँ से आगे बढ़ गए। फासिस्टों का जुल्म बढ़ता गया। मीन्सक, रीगा, ल्बोफ़, लूत्स्क—हर ओर खूनी जंग छिड़ी थी। फिर भी दुश्मन के कब्जे वाले इस इलाके के बीचों-बीच, ब्रेस्त का किला अडिग खड़ा रहा। इसके शूरवीर रक्षक, मानो मृत्यु को चुनौती दे रहे थे, अपनी हर साँस युद्ध को अर्पित कर रहे थे। किले की स्थिति अत्यंत विकट थी। गोला-बारूद समाप्ति की ओर था, भोजन की बेहद कमी थी, और सबसे कठिन संकट—पानी का घोर अभाव। बाहर चारों ओर बूग और मुखावेत्स नदियाँ, धाराएँ, नहरें, पानी से लबालब, मगर किले के भीतर एक-एक बूँद पानी को तरसते सैनिक। बाहर का पानी दुश्मन की गोलीबारी की जद में था। एक घूँट पानी की कीमत थी—जिंदगी से भी कह...